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80 वर्षीय समाजसेवी विजेंद्र सिंह यादव न्याय की गुहार में दर-दर भटक रहे, आरोप- ITI संस्थान पर धोखे से कब्जा कर रहा है गिरोह

फिरोजाबाद

80 वर्षीय समाजसेवी विजेंद्र सिंह यादव न्याय की गुहार में दर-दर भटक रहे, आरोप- ITI संस्थान पर धोखे से कब्जा कर रहा है गिरोह

फिरोजाबाद में पिछले 30 वर्षों से सामाजिक सेवा और शिक्षा के क्षेत्र में सक्रिय वरिष्ठ नागरिक विजेंद्र सिंह यादव (उम्र लगभग 80 वर्ष) ने अपने साथ हुए अत्याचारों और संपत्ति हड़पने के प्रयासों के खिलाफ शासन-प्रशासन से गुहार लगाई है।विजेंद्र सिंह यादव के अनुसार, वे सरनाम सिंह औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान का संचालन कर रहे हैं, जो सरनाम सिंह शिक्षा समिति (पंजीकरण वर्ष 1984) द्वारा संचालित है। इस संस्था को वर्ष 1991 में डीजीटी नई दिल्ली से मान्यता प्राप्त हुई थी।उनका आरोप है कि श्याम सिंह यादव और उनकी पत्नी प्रियंका यादव ने कूट रचित तरीके से एक अन्य संस्था, सरनाम सिंह औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान (रजिस्टर्ड 1993) पर कब्जा कर लिया है। दोनों संस्थाओं के नाम समान होने का लाभ उठाकर श्याम सिंह यादव आईटीआई पर अवैध कब्जा कर रहे हैं। विजेंद्र सिंह का कहना है कि उन्हें कई बार बंधक बनाकर मारपीट की गई, गाली-गलौज और जान से मारने की धमकियां दी गईं। पिछले एक वर्ष से वे लगातार थाना लाइनपार, पुलिस अधीक्षक कार्यालय, जिला स्तरीय अधिकारियों और मुख्यमंत्री पोर्टल तक शिकायत कर चुके हैं, लेकिन अभी तक कोई ठोस कार्यवाही नहीं हुई।विजेंद्र सिंह ने आरोप लगाया कि श्याम सिंह व उनकी पत्नी प्रियंका ने स्वामी विवेकानंद योजना के तहत खुद को छात्र दिखाकर दो टैबलेट हासिल किए और 7-8 टैबलेट अन्य नामों से प्राप्त कर सरकारी धन का गबन किया।उन्होंने बताया कि एक अस्पताल में भर्ती रहने के दौरान उनके फर्जी हस्ताक्षर बनवाकर श्याम सिंह को प्रबंधक और प्रियंका को अध्यक्ष बना दिया गया। जबकि प्रियंका ने स्वयं शपथपत्र देकर स्वीकार किया कि न तो कोई चुनाव हुआ, न ही कोई मीटिंग। श्याम सिंह व प्रियंका स्वयं ITI में स्टोरकीपर और लिपिक बनकर वेतन ले रहे हैं और संस्था के फंड का दुरुपयोग कर निजी संपत्तियां बना रहे हैं। विजेंद्र सिंह ने आरोप लगाया कि श्याम सिंह के पास आय का अन्य कोई ज्ञात स्रोत नहीं है, फिर भी उन्होंने विभिन्न क्षेत्रों में कई मकान रजिस्ट्री कराए हैं।इतना ही नहीं, विजेंद्र सिंह ने यह भी आरोप लगाया कि श्याम सिंह ने आईटीआई के लेटरहेड का दुरुपयोग कर डीजीटी नई दिल्ली को झूठे पत्र भेजे हैं।

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